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चल अब लक्ष्य को चुन, मंज़िल अब भी दूर खड़ी ख्वाब जो देखें थे अब पूरा करने की आयी है वो घड़ी संघर्ष ही वो पहिया हैं जिसके सहारे ही मझधार ...